Friday, November 20, 2009

समय

समय




कौन समय ? कैसा समय ?


समय एक ऐसा,


करता नहीं इंतज़ार किसी का ,


जल्दी आता, जल्दी जाता ।




गर करें इंतज़ार किसी वार का ,


कभी नहीं वो जल्दी आता ।




न किसी का दोस्त, न किसी का दुश्मन ।


फिर भी वह साथ हमारे , पास हमारे ।




गर हैं हम साथ समय के, तो दुनिया कदमों मे ;


गर दूर समय के, तो अस्तित्व खतरे मे ।




समय का तुम करों उपयोग ।


करों सदुपयोग, बनो महान,


छू लों आसमान, पा लो मान ।


पहुचों बुलंदी पर, बनो महान




अंकित करवाओ अपना नाम,


करो देश को भी महान ।


करो देश को भी महान ।


समय एक एसा, जल्दी आता जल्दी जाता ।


शिक्षक:(मुकेश जोशी)
हिन्दी शिक्षक( आत्मीय विद्यामंदिर )

1 comment:

Anonymous said...

It is nice poem.