Saturday, August 6, 2011

मातृ देवो भव-पितृ देवो भव

......तो एक गिलहरी भी समुद्र के तट पर जाती और निर्माणाधिन सेतु पर   कर के लोट-पोट हो जाती। देख कर श्री राम के पुछने पर उसका प्रत्युत्तर था कि, इन दीर्घाकार पाषाणों को उठा कर सेतु निर्माण सहयोग में अक्षम मुझे प्रकृति ने बल देकर के बाल ही दिए हे, जिनका सदुपयोग कर के मैं तट से रेत लाने का कार्य कर रही हूँ। तब प्रभु ने प्रीति से उसके उपर हाथ फेरा तो मान्यता है कि उस दिन से गिलहरी पर तीन श्वेत धारीया बन गई।



सूरज का कौन साया है और परछाईयों से कौन पराया है ?

ये तो हमारा एक गिलहरी प्रयास है, वरना माँ-बाप का ऋण कौन उतार पाया है ?


जी हाँ, कथा तो पूर्ण हुई परन्तु खबर ये हे कि, इस बार सत्यम हाउस ने सौभाग्य से प्राप्त सामाजिक मूल्य- मातृ देवो भव-पितृ देवो भव के साथ न्याय करने का एसा ही एक प्रयास किया, तो सहयोगीयो ने और प्रशंसको ने भी अपना दायित्व निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।



सप्ताहारंभ दिवस पर वरिष्ठ छात्रों की प्रार्थना-सभा में श्री पारस पंचोली ने वर्तमान समाज में माता-पिता की स्थिति से अवगत करा कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया तथा कनिष्ठ छात्रो की प्रार्थना-सभा में भगवान गणपति द्वारा ब्रह्माण्ड के बजाय अपने माता-पिता की परिक्रमा वाला एक संक्षिप्त चलचित्र भूलकु सौम्या बहन के द्वारा वर्णन कर के बताया गया।

26/7 का दिन भारत में कारगील विजय-दिवस के रुप में मनाया जाता हे।इस अवसर का लाभ उठाते हुए श्री परामृत की देख-रेख में छात्र श्री शिवम भाई बंका [कक्षा 10वी] द्वारा तैयार किया गया कारगील विजय पर एक खास विडीयो का वर्णन के साथ प्रसारण किया गया।

सप्ताह के मध्य में छात्र श्री राज जी भाई तथा चिदाकाश भाई ने आज का विचार एवं समाचार वाञ्चन का कार्य किया। कनिष्ठ छात्रो की प्रार्थना-सभा में छात्र श्री दर्शनभाई 5 A और आभाशभाई 1st ने कविता, आदित्यभाई, केवलभाई,4th A मननभाई 5B ने कहानी तथा नीलभाई ,हर्षलभाई 3A ने माता-पिता पर कविता का प्रस्तुतिकरण किया।प्रथमभाई 4th B ने भी अपना सहयोग प्रदान किया। बृहस्पति वार के दिन हाउस के संयोजक [convener] महोदय श्री प्रभुमग्न के सानिध्य में दो छात्रो, श्री हर्षभाई मेहता  8th B एवं श्री देनिश पटेल  8th B ने अनुभवों का लेन-देन किया। पश्चात श्री पुष्पक ने कविता पाठ परंपरा का निर्वहन किया।आज श्री क्षितिज पाटनकर [प्रभारी रसायन विज्ञान विभाग] को कनिष्ठ छात्रो की प्रार्थना-सभा में अतिथिवक्ता के रुप में आमंत्रित किया गया था,जहाँ श्रीमान ने छोटे बालको के योग्य श्रेष्ठ कहानी सुना कर के बच्चो को लाभ प्रदान किया। सप्ताह के उत्तरार्ध में महोदया रेखा गोस्वामी ने छात्रो का मार्गदर्शन करते हुए छात्र श्री आनन्द भाई पण्ड्या एवं निसर्ग भाई मेहता को मञ्चासित किया। स्वयं निर्णायिका महोदया डॉ.रुपाश्री अस्थाना ने सत्यम हाउस का आतिथ्य स्विकार किया। भूलकु सौम्या बहन छात्र श्री कृतार्थभाई एवं स्मीत भाई ने छात्र श्री तीर्थक भाई के सञ्चालन के तहत अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।

      इस तरह से सप्ताहांत ने जब एक बार फिर .वी.एम. के इतिहास में सत्यम हाउस को अपनी प्रतिभा दर्शाने का मौका दिया तो फिर दल के सदस्य कहां पीछे रहने वाले थे। रचनात्मक प्रार्थनासभा कि शुरआत करने के लिऐ छात्र श्री हर्षित भाई 7th ने श्रीमती निहारिका एवं छात्र श्री यथांश भाई जोशी 6th B को मञ्च पर आमंत्रित किया,जिन्होने अपने संवादो के माध्यम से एक Parents Day  नामक चित्ताकर्षक नाटक दिखलाया जो कि, भारतीय संस्कारों पर एवं मातृ-पितृ भक्त सुकर्मा [छात्र श्री जयभाई वाकावाला] कि कथा पर आधारित था। कथा में जब पिपलाद नामक तपस्वी [छात्र श्री हर्षभाई सारदा] को स्वयं ब्रह्मा [तपनभाई डण्डावाला] आकाश मार्ग से वरदान देने मञ्च पर अवतरित हुए तो पूरा सभा-भवन तालियों की गड-गडाहट से गूंजा ही नहीं सुबक भी गया जबये तो सच हे कि भगवान हे.....” वाले भावात्मक गीत को श्री सोमनाथ मित्रा [संगीत शिक्षक] के तत्वाधान में छात्र श्री फेनीलभाई पटेल तथा सुमीतभाई चौधरी ने गाया और श्री मृणाल नायक [नृत्याध्यापक] के दिशा-निर्देशन में छात्र श्री झीलभाई ,शिवांगभाई, संकल्पभाई, एवं हर्षभाई मेहता ने मुख्य अदाकारी अदा करते हुए दर्शको को अपने बचपन की याद दिलाई।
                  ना भूतो ना भविष्यति  नृत्यानाटिका को देखने के बाद निर्णायको कि कलम ने ये लिखने में भी कोई अतिशयोक्ति अनुभव नहीं की। शनीवार के पूरे दिन विद्यालय में इस बारे में चर्चाओं सिलसिला चलता रहा।वास्तव में अब की बार तो सत्यम हाउस ने गगन में विजय की पताका एवं धरा पर जीत के आरंभिक झंडे तो गाड दिए हे परन्तु अध्ययन के बाद इम्तिहान एवं क्रीड़ा के पश्चात स्पर्धा जेसे महत्वपुर्ण कार्यक्रमों के साथ-साथ क्या सत्यम हाउस वास्तव में जय हासिल कर पायेगा या नहीं, ये तो खैर वक्त ही बता पायेगा।   

प्रदर्शनी-पट्ट: इतना हि नहीं बल्कि, सोने पे सुहागा का काम तो सत्यम हाउस के प्रदर्शनी पट्ट ने किया हे। प्रदर्शनी पट्ट के लिएकारगील विजय-दिवस नामक प्रकरण पर कठोर परिश्रम से तैयार किये गये  पट्ट को दर्शको खुब सराहा तथा छात्रो ने निहारा। इसे तैयार करने में अग्रलिखित छात्रों के नाम अग्रगण्य हे- छात्र श्री वत्सलभाई, श्री विस्मयभाई, श्री रोमिलभाई, श्री हर्षभाई, श्री दैनिशभाई, एवं अन्य साथीगण।
 
नींव की ईंटेसर्व श्री वल्लभ मामा , श्री रमाकर दुबे  श्री हिमांशू , श्री हेमन्त दुबे , प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष सभी सहयोगी व्यक्तियों को सत्यम हाउस का हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार

लेखक: पुष्पक जोशी (शिक्षक)

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